अरविंद  केजरीवाल का जन्म और परिवार । अरविंद केजरीवाल की शिक्षा। राजनीति में प्रवेश का कारण ।

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अरविंद  केजरीवाल का जन्म और परिवार (Arvind Kejariwal birth and family information)-

अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा राज्य के हिसार जिले के सिवानी गांव में हुआ था। वे अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। उनके पिता भी एक इंजीनियर थे। अरविंद का बचपन सोनीपत, मथुरा और हिसार में बीता। केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली और टाटा स्टील में काम किया।

अरविंद केजरीवाल की शिक्षा (Kejariwal Education)-

(1) ये बचपन में हिसार में स्थित कैंपस स्कूल और इसके बाद सोनीपत में स्थित क्रिस्चियन मिशनरी स्कूल के छात्र रहे। इन्होंने यहाँ से अपनी स्कूली पढाई पूरी की।

(2) स्कूल के बाद ने अपने स्नातक के लिये इन्होंने आईआईटी खड़गपुर में दाखिला लिया। यहाँ से इन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की।

(3) अरविंद ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में भी अपनी सफलता दर्ज की और आईआरएस अधिकारी के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त हुए।

अरविंद केजरीवाल का करियर (Kejariwal career)-

(1) अरविंद  केजरीवाल का करियर राजनीति से पहले या राजनीति के बाद भी एक सफल करियर के रूप में सामने आता है। इनके करियर की कुछ विशेष जानकारियाँ यहाँ दी जा रही हैं।

(2) आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद इन्होंने सन 1989 में टाटा स्टील से अपना करियर शुरू किया। इनकी पोस्टिंग जमशेदपुर की गयी थी।

(3) तीन वर्ष यहाँ कार्य करने के बाद सन 1992 में इन्होंने अपना पहला इस्तीफा दिया, ताकि सिविल सर्विस की तैयारी कर सकें।

(4) सिविल सर्विस की परीक्षा में सफलता प्राप्त हुई और यहाँ से ये भारत सरकार के अधीन काम करने लगे। यहीं से इन्होंने राजनीति की जमीनी पहलुओं ठीक से समझा।

राजनीति में प्रवेश का कारण (Political career)-

अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे के जनलोकपाल आंदोलन में बहुत सक्रियता से कार्य किया। किन्तु कोई सीधा लाभ न मिल पाने की वजह से आंदोलन का उद्देश्य सफल नहीं हो पा रहा था। अन्ना के अनुसार राजनीति कीचड़ है, जिसमें उतरने वाले लोग गंदे हो जाते हैं, जबकि अरविंद  केजरीवाल ने कहा कि इस कीचड़ को साफ करना भी हम देशवासियों का काम है।अतः आंदोलन के साथ साथ एक स्वस्थ सक्रीय राजनीति की भी आवश्यकता होती है। अरविंद  ने जनलोकपाल बिल के मुद्दे से राजनीति में कदम रक्खा। अरविंद केजरीवाल के अनुसार जब वे आईआरएस अफसर के रूप में कार्य कर रहे थे, तो उन्हें अक्सर भ्रष्टाचार जैसी समस्या का सामना करना पड़ता था। इसी वजह से उन्होंने इस नौकरी को छोड़ा था।

अरविंद केजरीवाल का समाज कल्याण कार्य (Arvind Social Work)-

अरविंद  केजरीवाल अपने करियर के आरंभिक दिनों से ही सामाजिक कार्यों में रूचि लेने लगे थे। इन्होंने टाटा स्टील जमशेदपुर से इस्तीफा देकर एक तरफ सिविल सर्विस की तैयारी की, तो वहीँ दूसरी तरफ कोलकाता में रहते हुए इन्होंने मदर टेरेसा से भेंट की। इन्होंने मदर टेरेसा के आश्रम में दो महीने तक कार्य किया। इसके बाद इन्होंने ‘क्रिश्चियन ब्रदर्स एसोसिएशन’ के साथ कार्य किया। अरविंद ने गाँवों के लिए ‘राम कृष्ण मिशन’ के साथ जुड़ कर विभिन्न तरह के कार्य किये। कालांतर में इन्होंने ‘नेहरु युवा केंद्र‘ को अपने समाज कल्याण कार्य का मंच चुना। इन्होंने आयकर विभाग में काम करते हुए ‘परिवर्तन’ नामक जन आंदोलन की शुरुआत की। इस जन आंदोलन के माध्यम से इन्होंने दिल्ली में होने वाले राशन कार्ड को लेकर जो स्कैम का पर्दाफाश किया था।

 

आम आदमी पार्टीआपकी स्थापना (Aam Aadmi Indian political Party (AAP)-

अरविंद केजरीवाल अफसरी करते हुए सरकारी तंत्र में गहरे बैठे भ्रष्टाचार को अच्छे से समझ गये थे। उन्हें ये बात भी समझ में आ गयी थी, कि इस तंत्र में अफसरी करते हुए भ्रष्टाचार को काबू में नहीं किया जा सकता है। इन्होंने सामाजिक मुद्दों पर ध्यान देते हुए वर्ष 2006 में आयकर विभाग के ‘जॉइंट कमिश्नर’ पद से इस्तीफा दे दिया। इस इस्तीफे के बाद वे लगातार सामाजिक मुद्दों से जुड़े रहे और समाधान के रास्ते ढूंढते रहे। इन्होंने अन्ना के आंदोलन में भाग लिया, जहाँ उन्हें पार्टी बनाने की आवश्यकता महसूस हुई। नवम्बर 2012 में इन्होंने आम आदमी पार्टी की नींव रखी।

 

अरविंद  केजरीवाल से सम्बंधित दिलचस्प बाते (Interesting Facts)-

(1) अरविंद केजरीवाल को हिंदी फ़िल्में देखनी बेहद पसंद है. वो आमिर खान के अभिनय के बहुत बड़े प्रशंसक हैं और उनकी लगभग हर फिल्म देखते हैं।

(2) अरविंद केजरीवाल ने आईआईटी की परीक्षा पहली बार में ही निकाल ली थी। इन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा भी एक बार में निकाली।

(3) अपने कॉलेज के दौरान इन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी, बल्कि ये थिएटर में रूचि रखते थे।

(4) अरविंद केजरीवाल ने वर्ष 1989 में आईआईटी खड़गपुर छोड़ी और इसी वर्ष गूगल के तात्कालिक सीईओ ने इस संस्था में पढने के लिये अपना नामांकन कराया।

(5) आईआरएफ अफसर होने के दिनों में इन्होंने चपरासी की सेवा नहीं ली और ये प्रतिदिन अपना डेस्क खुद साफ़ करते थे।

(6) इनकी और इनकी पत्नी की मुलाकात ‘नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन’ में वर्ष 1994 में हुई थी। वहीँ से इनके रिश्ते आगे बढे।

 

देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर सियासी बाजी मारकर अरविंद केजरीवाल ने साबित कर दिया है कि एक आम आदमी ठान ले तो कुछ भी हासिल कर सकता है। साधारण परिवार से वास्ता रखने वाले केजरीवाल ने हर क्षेत्र में पूरी लगन से अपने कर्तव्य को निष्ठा भाव से निभाकर अपनी एक अमिट पहचान बनाई है। उन्होंने लगातार तीसरी बार आम आदमी पार्टी को दिल्ली की सत्ता तक पहुंचा दिया। सारे समीकरण धरे के धरे रह गए जब आप ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 60 सीटों से ज्यादा का आंकड़ा पार कर लिया और प्रचंड जीत हासिल की। ऐसे में आइए नजर डालते हैं केजरीवाल के अब तक के सफर पर..

 

'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' से राजनीति केअखाड़े तक-

बतौर सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने ‘सूचना का अधिकार’ के लिए काफी काम किया। जनलोकपाल बिल के लिए केजरीवाल ने समाजसेवी अन्ना हजारे के साथ आंदोलन किया। 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' के बैनर तले एक ऐसा आंदोलन खड़ा हुआ कि दिल्ली के हुक्मरानों की सांस फूलने लगी था। उनके इस आंदोलन से प्रशांत भूषण, संतोष हेगड़े, शांति भूषण, किरण बेदी जैसे दिग्गज लोग जुड़ते गए। इसी आंदोलन के दौरान अरविंद केजरीवाल समाजसेवा से राजनीति के अखाड़े में कूद गए। केजरीवाल ने भारतीय राजनीति के खेल के पुराने नियम-कायदों को पलटकर इस खेल का नया मापदंड तय किया।  

 

आईआरएस से दिया इस्तीफा

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राजनीति में आने से पहले भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में थे। आईआरएस की नौकरी से इस्तीफा देकर वे सामाजिक गतिविधियों और फिर राजनीति से जुड़े। उन्हें उत्कृष्ट कार्य के लिए 2006 में रमन मैगसेसे पुरस्कार से नवाजा गया था। 1992 में वह भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए थे। साल 2006 में जब वह आयकर विभाग में संयुक्त आयुक्त के पद पर थे तब उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी। सूचना का अधिकार कानून बनाने के लिए उन्होंने अरुणा रॉय के साथ सामाजिक आंदोलन चलाया और साल 2005 में इसे देशव्यापी कानून बनवाने में मदद की।

 

राजनीति की शुरुआत

साल 2011 में अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल बिल लाने का आंदोलन शुरू किया था। अरविंद केजरीवाल ने जनलोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे के साथ मिलकर अनशन में हिस्सा लिया। प्रशांत भूषण, शांति भूषण, संतोष हेगड़े और किरण बेदी के साथ मिलकर उन्होंने जन लोकपाल के लिए आंदोलन का बिगुल बजाया। इस आंदोलन में लाखों की संख्या में लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। आंदोलन के आगे सरकार को झुकना पड़ा और लोकपाल बिल पास करने का प्रस्ताव स्वीकारना पड़ा। इसके बाद भी बिल पास नहीं हु्आ, तो जन आंदोलन को राजनीतिक पार्टी का चेहरा देने की मांग उठने लगी। तब अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन किया। 2 अक्टूबर 2012 को केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी का गठन किया। 24 नवंबर, 2012 को इसे आम आदमी पार्टी का नाम दिया गया। झाड़ू इस पार्टी का प्रतीक चिन्ह बना।

 

आप के साथ जुड़ते गए दिग्ग्ज

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से कवि कुमार विश्वास और टीवी एंकर आशुतोष जैसे लोग जुड़ते गए, लेकिन बाद में इनका मोहभंग होता चला गया और अपनी राह अलग कर ली। हालांकि केजरीवाल के साथ उनके दोस्त और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, वर्तमान राज्यसभा सांसद संजय सिंह जैसे कुछ लोग ही बने रहे।

 

49 दिन और फिर 5 साल के सीएम-

परिवर्तन का सपना लेकर राजनीति में उतरे केजरीवाल अपनी विनम्र वाणी और सहज व्यक्तित्व से राजधानी के लोगों को एक बेहतर कल का सपना दिखाने और नयेपन की उम्मीद जगाने में कामयाब रहे और महंगाई, भ्रष्टाचार, लाल फीताशाही और नौकरशाही से आजिज मतदाताओं ने केजरीवाल को अपना नया नेता चुन डाला। 2013 में दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। केजरीवाल ने 3 बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को बड़े अंतर से हरा दिया। कांग्रेस के समर्थन से केजरीवाल ने सरकार बनाई, लेकिन 49 दिनों की सरकार उनके इस्तीफे के साथ ही खत्म हो गई।

 

2015 में प्रचंड बहुमत-

2015 में फिर विधानसभा चुनाव हुए तो अरविंद केजरीवाल जी ने दमदार वापसी करते हुए 70 में से 67 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। इस प्रचंड जीत के साथ ही केजरीवाल ने 14 फरवरी 2015 को दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
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Article Posted By: Manju Kumari

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