जानिए... क्यों मनाते है बारावफात कमहत्व क्या है

293
Views

जानिए... क्यों मनाते है बारावफात कमहत्व क्या है - 12 महीनो में वैसे तो हर महीने में कोई कोई मुस्लिम त्यौहार मनाया जाता ही है लेकिन इस माह ईद मिलदुनबी (बारावफात) अन्य त्यौहार से अफजल (खास) मनाया जाता है इसका कारण यह है की इस माह के चाँद 12 तारीख को इस्लाम मजहब के बानी हजरत मुहम्मद साहब की पैदाइश हुई थी और ऐसी रबी उल अव्वल को आप रुक्सत भी हुए।

बारावफात के दिन खुदा ने भेजा मोहम्मद साहब को - ईद मिलाद उन नबी पैगम्बर मुहम्मद की पैदाइश की ख़ुशी में मनाया जाता है।क्योकि उसी दिन अल्लाह के प्यारे नबीद हजरत रसूल अल्लाह मोहम्मद सलाह ओह - आलै वसल्लम को खुदा ने पैदा करके इंसानो की हिदायत के वास्ते जमीं पर भेजा ,ताकि  वह लोगो को तालीम देकर उन्हें नेक इंसान बनाये। यह सिलसिला हजरते आदम से शुरू हुआ था। लगभग 124000 नबी और रसूल तसरीफ लाये। उनमे आज से लगभग साढ़े 1400 पहले 20 अप्रैल 571 ईश्वी (12 रबी - - उल - अव्वल) पीर सोम्बर के दिन सुबह अर्ब के मक्का शहर में हजरते आमना खातून के मुबारिक शिकम (पेट) से मुहम्मद साहब पैदा हुए। 

व्यापार करते थे मोहम्मद साहब - आपका नाम मोहम्मद रखा गया कोई आपके वालीद (पिता) का आपके पैदाइश के पहले ही इंतकाल हो गया था।आपकी परवरिश आपके दादा अब्दुल मुनलिब ने की थी। आपके दादा कशी शरीफ के मुतबल्ली थे। अर्ब के लोग उनको बहुत इज्जत देते थे   मोहम्मद ओह - आलै वसल्लम की शादी 25 साल की उम्र में मक्के की एक बेवा (विधवा) औरत खदीशा से हुई थी खदीशा की उस वक्त उम्र 40 वर्ष थी। आप गुजर बसर के लिए तिजारत (व्यापर) करते थे।

40 की उम्र में किया नबी होने का ऐलान - शादी के 14 साल के बाद यानि 40 की उम्र में आपने अल्लाह के हुक्म से अपने नबी होने का ऐलान किया था यह वह दौर था अर्ब के लोग जहालत के अँधेरे में दुबे हुए थे वह खुदा को तो भूले हुए ही तो थे। इंसानियत नाम की भी कोई चीज भी उनमे नहीं थी अपने हांथो से ही अपनी बेटियों को जिन्दा ही दफ़न कर दिया करते थे। जरा - जरा सी बात पर ही तलवारे उठा लेना और झगड़ना उनके लिए एक आम बात थी।

कुरान सरीफ नाजिल - मोहम्मद साहब ने उन्हें उन तमाम बुरी रश्मो और बुरी बातो से रोका और अच्छे कामो को करने का हुक्म दिया। अल्लाह की तरफ से उनपर कुरान सरीफ नाजिल हुआ जो की इंसानो की हिदायत के लिए है उसमे हर अच्छी बात के लिए हुक्म दिया गया और बुरी बातो के लिए रोका गया।

अमनऔर शांति की बात - आपने हमेशा अम्न और शांति कायम करने की कभी भी आपने किसी जुल्म करने वाले पर भी तलवार नहीं उठाई। आपने हमेशा कमजोरो। गरीबो और मजलूमों की मदद की है भुको को खाना खिलाया और नंगो को कपडे पहनाये है। आपकी कुल उम्र ६३ साल की हुई अल्लाह ने आपको जिस मकसद के तहत दुनिया में भेजा था ,वह आपने बहुत ही खूबसूरती के साथ अंजाम तक पहुंचाया था।

 

मदीना में है मजार - आज पूरी दुनिया में इस्लाम मजहब के मानने वाले पाए जाते है आप पर हर साप अपनी जान कुर्बान करने वाले 12 नबी  उल अव्वल को ईद मिलदुनबी (बारावफात) का जुलुस निकल कर शहर व् शहर ईद मिलदुनबी (बारावफात) की महफिले सजाकर उनकी बारगाह में खिराजे अकीदत पेश करते है। हजरत का मजार अर्ब शहर के मदीना शरीफ में है हर वर्ष हज यात्रा के दौरान दुनिया के हर कोने से लाखो लोग यहाँ तशरीफ़ लाकर आपके मजरे - शरीफ दीदार करते हुए सुकून हासिल करते है। 

----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

Article Posted By: Manju Kumari

Work Profile: Hindi Content Writer

Share your feedback about my article.

0 Answer

Your Answer



I agree to terms and conditions, privacy policy and cookies policy of site.

Post Ads Here


Featured User
Apurba Singh

Apurba Singh

Member Since August 2021
Nidhi Gosain

Nidhi Gosain

Member Since November 2019
Scarlet Johansson

Scarlet Johansson

Member Since September 2021
Mustafa

Mustafa

Member Since September 2021
Atish Garg

Atish Garg

Member Since August 2020

Hot Questions


Om Paithani And Silk Saree



Quality Zone Infotech



Sai Nath University


Rampal Cycle Store



Om Paithani And Silk Saree



Quality Zone Infotech



Kuku Talks



Website Development Packages